हे मनुष्य| यदि तु किसी एक कर्म द्वारा सारे संसार को अपने वश मे करना चाहता है तो दुसरो की निंदा करने वाली अपनी वाणी को वश मे कर ले अर्थात दूसरो कि निंदा करना छोड दे|
दूसरों की निंदा छोडने का अर्थ है अपनी आलोचना और दूसरो के गुणो का ग्रहण करना | ऐसा करने वाला सहज रूप से विश्व को जीत लेंगा|