आने वाले कष्ट को दूर करने के लिये जो पहले से ही तैयार रहता है और जो विपत्ती आने पर उसे दूर करने का उपाय सोच लेता है,वे दोनो प्रकार के व्यक्ती अपने सुख कि व्रुद्धि करते है अर्थात सुखी रहते है तथा जो यह सोचता है कि जो भाग्य मे लिखा है वही होगा, ऐसा व्यक्ती शीघ्र हि नष्ट हो जाता है
संकट आने से पूर्व जो व्यक्ती बचाव का उपाय कर लेता है और संकट आने पर तत्काल आत्मरक्षा का उपाय कर लेता है-ये दोनो सुख से जीवन बिताते है,परतू जो भाग्य के लिखे के अनुसार सोचता है कि देखा जायेगा, वह नष्ट हो जाता है|
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