बुद्धिमान व्यक्ती को अपनी इन्द्रियों को वश मे करके समय के अनुरूप अपनी क्षमता तो तौलकर बगुले के समान अपने कार्यो को सिद्ध करना चाहिये|
बगुला जब मछली को पकडने के लिये एक टांग पर खडा होता है तो उसे शिकार के अतिरिक्त अन्य किसी बात का ध्यान नही होता| इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ती जब किसी कार्य कि सिद्धी के लिये प्रयत्न करे तो उसे अपनी इन्द्रियां वश मे रखनी चाहिये| मन को चंचल नही होने देना चाहिये तथा चित्त एक हि दिशा मे,एक हि कार्य कि पूर्ती मे लगा रहे,ऐसा प्रयत्न करना चाहिये|शिकार करते समय बगुला इस बात का पुरा अंदाजा लगा लेता है कि किया गया प्रयास निष्फल तो नही जायेगा|
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