जो पीठ पीछे कार्य को बिघाडे सामने होने पर मिठी बाते बनाए ऐसे मित्र को उस घडे के समान त्याग देना चाहिये जिसके मुह पर तो दूध भरा है और परन्तु अंदर विष भरा है |
जो मित्र सामने चिकनी चुपडी बाते बनाता हो और पीठ पीछे बुराई करके कार्य को बिघाड्ता है, ऐसे मित्र को त्याग देने मे हि भलाई है | चाणक्य कहते है कि, वह उस बर्तन के समान है,जिसके उपर के हिस्से मे दुध भरा है, परंतू अंदर विष भरा हो |
उपर से मोठे और अंदर से दुष्ट व्यक्ती को मित्र नही कहा जा सकता | यहा एक बात विशेष ध्यान देने कि है ऐसा मित्र आपके व्यक्तिगत और सामाजिक वातावरण को भी आपके प्रतिकुल बना देता है. |