मर्यादातीतं न कदाचिदपि विश्वसेत्
जो व्यक्ती सामाजिक नियमो अर्थात मर्यादाओ का उल्लंघन करते है उनका कभी भी विश्वास नही करना चाहिये।
प्रत्येक समाज मे कुछ नियम होते है। समाज उन नियमों के सहारे जीवित रहता है। यह एक प्रकार की मर्यादाएं होती है जिन्हें समाज का कोई व्यक्ती भंग करने का प्रयत्न नहीं करता परंतु जो व्यक्ती ऐसा करते है वे समाज के विपरीत चलने वाले होते है।
चाणक्य का कहना है की ऐसे व्यक्तियो का कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्तियो पर विश्वास करने से समाज मे विरोधी भावनाए पैदा होती है और सामाजिक बन्धनों के नष्ट होने का भय स्पष्ट हो जाता है। जो व्यक्ती सामजिक मर्यादाओ को भंग करता है,उस पर विश्वास करना मुर्खता है।